Friday, December 31, 2010

दुवायें

मानव हो, दानव नहीं, थोडा खैर करो
इन्सां हो, कायनात से न बैर करो
दुवायें जितनी पाई, संभाले न रखना
दुवायों की फितरत, बेवफाई होती है
बाँट लेना उन्हे मेरे दोस्त, संभाले न रखना
जिसनें दुआ दी उसने अमानत छोड़ दी
अब संभालो वो भारी अमानत
उस अमानत का आर्तनाद सुनो
देखो वो कैसे चक्रवर्ती ब्याज सी बढती है
देखो हमारी दुवायें, कैसे रोज घटती हैं

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