एक झुग्गी झोंपडी की कहानी से प्रेरित हो
मैं लिखने चला एक साफ़ कालोनी के किसी घर की कहानी
जो कहीं मेरे ही घर के पास था
कोई रहता था वहाँ, जीवन बहता था वहाँ, वो बड़ा ख़ास था
सुबह सुबह कोई बाहर से आकर चाय काफ़ी की केतली चढाता
जूस निम्बू पानी बनता, कोई व्यायाम करने मशीन पर चढ़ता
नाश्ता बनता, अखबारें आती, स्कूल की बस बच्चों को स्कूल ले जाती
सूट बूट टाई जूते पहन कोई निकलता ऑफिस की ओर
टिद्धीदल सी भरी सड़क में फँस जाता, जहाँ मचा शोर ही शोर
दिन भर ठंडे ऑफिस में, होड़ की गर्मी झुलसाती
शाम तलक आंखें मुंदने लगतीं, वापस घर जाने की बारी आती
सुबह का वही आलम सड़कों में दोहराया जाता
किसी तरह से कोई वापस घर लौट कर आता
कितनी सुकून की जिंदगी है, घर में राशन ,हर वक्त बहता पानी है
क्या यही साफ़ सुथरी कालोनी के उस घर की कहानी है?
यहाँ किसी बच्चे की नाक साल में सिर्फ़ एक बार बहती है
माँ हर दिन बच्चे को कुछ टोनिक देती रहती है
शराब पी यहाँ उस शराबी की तरह कोई गंदे गीत नही गाता
यहाँ त्योहारों पर भीड़ न लगती, न कोई रोज मिलने आता
कंप्यूटर में बंद दोस्त हैं कंप्यूटर में ही मिल पाते हैं
एक दूसरे का हाल कुछ बटन दबा एस एम् एस भेज पूछ जाते हैं
दीवाली होली भैयादूज दशहरा, पोंगल सिर्फ़ एक छुट्टी के नाम हैं
एस एम् एस जिंदाबाद है, अंगुली दबी, संदेश गया, बस कितना आसान है
यहाँ सपने सच होकर बाद में अपनों को छोड़ जाते हैं
पुराने दोस्त सुदामा की तरह फिर लौट नहीं आते हैं
यहाँ ग़म बस अपनी आवाज निकाल नहीं पाते हैं
कुछ पाने के लिए यहाँ तुम सीढ़ी चढ़ते जाते हो
बाद में दूसरों को अपने ऊपर चढाने की सीढ़ी ख़ुद बन जाते हो ,
यहाँ हँसी होठों पर कुछ जाम लेने के बाद ही आती है
कश पे कश लगते रहते हैं, सीढीयाँ भारी लगने लग जाती हैं
एक दिन उन्हें अस्पताल ले जाती एंबुलेंस भी
उस टिद्धियों से भरी सड़क पर फँस जाती है
भरपूर राशन और हमेशा बहते पानी वाले उस घर से
एक अर्थी करंट की चिता की ओर प्रस्थान कर जाती है
कोई विधवा रात को अकेली खिड़की के पास खडे हो अकेले आंसू बहाती है
साफ़ कालोनी के उस घर के शांत माहौल के,
किसी कमरे की बत्ती, हमेशा हमेशा के लिए बुझ जाती है
1 comment:
bhai is sachai se sab kanni hi kat te hai..
hum yeh sab roj dekhte hain..
in main ek dard hai
wah Paddy wah..yeh hi yatharta hai
arun chandhok
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