Friday, December 31, 2010

दुवायें

मानव हो, दानव नहीं, थोडा खैर करो
इन्सां हो, कायनात से न बैर करो
दुवायें जितनी पाई, संभाले न रखना
दुवायों की फितरत, बेवफाई होती है
बाँट लेना उन्हे मेरे दोस्त, संभाले न रखना
जिसनें दुआ दी उसने अमानत छोड़ दी
अब संभालो वो भारी अमानत
उस अमानत का आर्तनाद सुनो
देखो वो कैसे चक्रवर्ती ब्याज सी बढती है
देखो हमारी दुवायें, कैसे रोज घटती हैं

Sunday, December 26, 2010

एक प्यार का लम्बा सफ़र

नहीं, मैं न बदलूँगा तुम्हारी तरह
क्यूंकि एक दिन तुम भी मेरे सी बन जाओगी
ठोकरें खा वापस एक दिन घर जरूर आओगी
उस दिन कोई तो मरहम लगाने वाला होगा तुम्हारे जख्मों पर
वरना तुम किससे अपने जख्म सहल्वाओगी ?
मैं तो आग में तपा लोह्खंड हूँ और तुम हो सरल सोना
आज तुम्हे खो रहा हूँ पर कल फिर से है तुम्हे बोना
मैं बदल गया तो किसके कन्धों पर सर रख रो पाओगी
अधूरी होकर कैसे फिर से सम्पूर्ण बन पाओगी
हर सवाल के जवाब सफ़र में मिलते जायेंगे
यही पुराने हाथ एक दिन फिर से तुम्हे गले लगायेंगे