Tuesday, June 14, 2011

जीवन

जीवन की नीयति ही ये है, जब हम किसी को खो देते हैं तो खुद को पा जाते हैं
जब तक सवालों के जवाब समझ आते हैं, तब तक नए सवाल पैदा हो जाते हैं
एक वक़्त ऐसा भी होता है कि सो कर वक़्त काटा जाता है
और फिर एक वक़्त ऐसा भी, जब वक़्त ही खुद सो जाता है
साथ चलती भीड़ धीरे धीरे छंटने लग जाती है
एक दिन बस खुद की ही परछाई साथ रह जाती है
उस दिन बुजुर्गों के कहे शब्द बार बार कानों में गूंजते हैं
अतीत की खामियों के जिन्न जिन्दा मुर्दे को सूंघते है
नफा नुक्सान क्या है, ये कभी किसी साहूकार से न जानना
ये न मैं सिखाऊंगा या कोई और , बस जिंदगी से ही जानना

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