Sunday, May 17, 2009

ब्रह्माजी की नारी

कभी कभी एक नारी ही क्यूँ दूसरी नारी की दुश्मन होती है
क्यूँ किसी की साड़ी किसी दूसरी की साडी से ज्यादा सफ़ेद होती है
कोई पाउडर तेल लगावे तो दूसरी झुरियों को छिपावे
फिर भी "मैं तुझ से ज्यादा सुंदर" का शंखनाद जोर जोर से बजावे
हिसाब से चलो तो हर औरत के हिस्से एक मर्द आयेगा
फिर भी पाउडर तेल लगाने का खाका भला किसकी समझ में आयेगा
अगर वो मर्द उसका ही है, तो भला वो पाउडर तेल क्यूँ लगावे
नारी के अन्दर के भेद देख तो भाई ब्रह्म भी चकरा जावे
लगे है की पाउडर, इतर से मर्दों को रिझाया जा रिया है,
फिर भी उसका मर्द घर की कामवाली से चक्कर क्यूँ चला रिया है?
अब मर्दों की क्या बात करें, वो तो उनकी नज़रों में जानवर हैं,
फिर जानवरों को प्रेम से निवाला क्यूँ खिलाया जा रिया है ?
भैया बहुत कनफूजन है, कोई तो आके गुत्थी सुलझाओ
ब्रह्माजी तो हार गए, अब किसी और केन्ड्डीडेट को तो आगे लाओ ?

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