Wednesday, May 13, 2009

सपनो के मोजे

सब्जबागों में पले सपने कोई अब तक सच न कर पाया,
धूल के तिलक में चन्दन की खुशबू कभी न कोई ला पाया.
कौन कहता है सपने सांकल नहीं खड़खडाते,
कुछ लोग बस सपनो को देख ही नहीं पाते.
हिमालय की पूजा करो तो शिखर चढ़ ही जाओगे,
वरना उसके उग्र हिम्म्स्खलन में कभी दब जाओगे.
प्रेम के मायने ना ही जानो तो अच्छा है,
मत बोलो की वो झूठा है या सच्चा है.
हर सांस को आखरी सांस समझ कर जी लो,
क्यूंकि हर बूढे के अन्दर छिपा एक बच्चा है.
संभलोगे खुद तो नस्लें संभल जाएँगी,
वरना किस्मत शताब्दियों तक ठोकरें खिलवाएगी.
अपना जूता तो हमेशा काटता ही है,
किसी और के जूते में अपनी सपने तो डालो,
जिंदगी खुद बा खुद गद्दी सा मोजा बन जायेगी.

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