Thursday, July 2, 2009

सपने ने मुझे देखा

एक रात एक सपने ने मुझे देखा
बोला... तुम तो बहुत गुणवान हो,
ये क्यूँ नहीं करते, वो क्यूँ नहीं करते
ऐसा क्यूँ नहीं करते, वैसा क्यूँ नहीं करते
ये करोगे तो ये हो जायेगा, वो करोगे तो वो हो जायेगा
सारा जटिल गणित देखो कितना सरल हो जायेगा
मैं कुछ न बोला, बस टकटकी लगाये देखता रहा
सुबह ने बहुत सरलता से लील डाला उस सपने को
और फिर मैने उस सपने को देखा
श्रींगार रहित, अपने असली रूप में
सपना मुझे देख रो पड़ा
आज मैने उस सपने का फिर से श्रृंगार किया
मेरा सपना वो नहीं जो मुझे बतलायेगा
मेरा सपना वो है जो सच हो सुबह को लील जायेगा
सपना मेरा वो नहीं जो रात को सुनहरा बनाएगा
सपना मेरा वो है जो दिन को प्रकाश दिखलायेगा

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