Thursday, August 9, 2012

मुसद्दियों का राज

ये गड्ढों का शहर है, यहाँ सडकें न ढूंढिए
तमाम आवाम यहाँ खुदा के रहम पर चलती है
यहाँ जिन्दा दफन हो जाते हैं, यहाँ मुर्दे न ढूंढिए
तकलीफों की रूहें यहाँ आहें उगलती हैं
बड़ी मौकापरस्त हैं जिंदगी, कभी भी भाग जाती है
मौत हर नुक्कड़ पर बैठी है और चुंगी वसूलती है
आला कमानों की फौजें रोज जिस्मों को दाग जाती हैं
इन्कलाब सो रहा है, मुसद्दियों का राज है
दफा हो जाओ तुम सब जिन्हे हिन्दोस्तां पर नाज़ है

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