Monday, August 6, 2012

ये साली जिंदगी

अक्कड़ बक्कड़ बम्बे बो, अस्सी नब्भे पूरे सौ की रट लगाती ये साली जिंदगी
कभी हुमा खान, सुलेमान, कादर खान तो कभी बियाबान बन जाती ये साली जिंदगी
बिलकुल औरत की तरह है, समझ से परे है, कभी बकवास तो कभी जिरह है
फिर भी रोज सुबह नींद से जाग जाती है, काम वाली बाई की तरह सुबह सुबह आ जाती है ये साली जिंदगी
अपने मटके झटके ठुमके झुमके दिखा रोज दिल बहलाती है ये जिंदगी
तो कभी गम के थपेडे दे दारु पीने पर मजबूर कराती है ये जिंदगी
इस जहाज पर न जाने कितने चढते उतरते, आते जाते रहते हैं, उडने का नाम है ये जिंदगी
कुछ को महबूब, कुछ को दोस्त और कुछ को दुश्मन बना जाती है ये जिंदगी
कभी टिच पिच, टिप टॉप, शुं शां हो जाती ये जिंदगी
तो कभी ढुस, फुस्स, काएं काएं दायें बायें हो जाती ये जिंदगी
कभी टोटे से काम चलवाती, कभी आबकारी अपनाती तो कभी ठेके पे बुलाती जिंदगी
तो कभी अठन्नी रुपैया चुपके से जेब में डाल जाती ये जिंदगी
कुछ करने का नाम है ये जिंदगी, रोज तरने का नाम है ये जिंदगी
ठीक औरत सी है, समझ से परे है, महबूबा, चुडहैल, रखैल खूंटे का बैल है ये साली जिंदगी
कभी पेटीकोट पहन बेलन चलाती है, तो कभी राशन की लाइन में गधा बनवाती है ये जिंदगी
रोज नेताओं नौकरशाहों आला कमानों के आगे माथा रगड़ वाती है ये जिंदगी
इसे जी लो, जी भर पी लो फिर न आयेगी ये साली जिंदगी
इसकी फाड़ दो, रोज कुछ पोंछ झाड दो वरना तुम्हारी फाड़ जाएगी ये साली जिंदगी

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