Saturday, October 17, 2009

दुवाएं

हम तो वो राजा हैं जो तेरी बारात में भी नाचें गायेंगे
खुद पीयेंगे अश्क मगर औरों को जाम पिलायेंगे
हमारी अर्थी को तुम कन्धा दो या न दो
तुम्हारी डोली को हम जरूर कन्धा लगायेंगे
हम काफिर नहीं, जो जहर खा लेंगे
हजारों जहर हमारे अन्दर ही दफ़न हैं, हम कहाँ मर पायेंगे?
तुम्हारी शादी के दिन अगर शेहनाई जोर से बजे तो हैरान न होना
अपनी सारी सांसे उस दिन हम शेहनाई में फूँक उसे बजायेंगे
गर्क से बने गर्क में पले और गर्क में ही मर जायेंगे
अपने हिस्से की जन्नत की वसीयत तेरे नाम कर जायेंगे
तेरी मोह्हबत तो बहुत खूब रही
हम तो तेरे दिए दर्दों को भी तेरी मोहब्बत समझ
तुझे और दुवाएं दे जायेंगे

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