Thursday, January 29, 2009

कुछ लोग

आज की तेज रफ़्तार जिंदगी का ये आलम है
कि सुबह के गम शाम को पुराने हो जाते हैं
कुछ लोग दुनिया में ऐसे ही पैदा हो जाते हैं
एक नया इतिहास रच ख़ुद इतिहास बन जाते हैं
कभी मन मन रो लेते, कभी सैकडों होठो की हँसी बन जाते हैं
कुछ लोग दुनिया में ऐसे ही पैदा हो जाते हैं
किसी जाने अनजाने के गले मिल उसके सपने थपथपाते हैं
अपने घर की मय्यत भूल दूसरे घर ईद मनाते हैं
कुछ लोग दुनिया में ऐसे ही पैदा हो जाते हैं
सवालों के मतलब सिखा ख़ुद सवाल बन जाते हैं
सुबह के ग़मों को लोरी सुना ख़ुद थक कर सो जाते हैं
कुछ लोग दुनिया में ऐसे ही पैदा हो जाते हैं
हर टूटी डोर में गाँठ बन ख़ुद को बाँध जाते हैं
हर चौराहे की अंगुली बन सबको सबका पथ दर्शाते हैं
कुछ लोग दुनिया में ऐसे ही पैदा हो जाते हें
कभी शीशे में ख़ुद उतर अपनी पहचान गवांते हें
कभी सैकडों सपने थाली में परोस, ख़ुद भूखे सो जाते हें
कुछ लोग दुनिया में ऐसे ही पैदा हो जाते हैं
बेलगाम जिंदगी के पाँव में सांकल दाल ख़ुद को हथकडी लगाते हें
दुखती टीसते घावों में मरहम लगा ख़ुद बीमार बन जाते हें
कुछ लोग दुनिया में ऐसे ही पैदा हो जाते हैं
मन के चरखे से मंजिलें बुन सबकी पगडण्डी बन जाते हैं
हर हाथ की उंगली को थाम पकड़ उसके ह्रदय तक जाते हें
कुछ लोग दुनिया में ऐसे ही पैदा हो जाते हैं

No comments: