Friday, February 6, 2009

राम या रावण


जलते रहो, चलते रहो
धधकते रहो, उबलते रहो,
संभालते रहो, बदलते रहो
क्योंकि यही नीयति है.
शिकायत किससे? ख़ुद से?
नही तो और किससे ?
कौन बदलेगा तुम्हारा पथ?
कौन उबालेगा तुम्हारी सुबह?
जीवन के सिर्फ़ दो ही जवाब होते हैं.
हाँ या फिर ना.
राम या फिर रावण.
सभी राम तो नही हो सकते
और सभी रावण भी.
तो दोनों में से किसी को तो चुनना होगा.
पथ वो ही तय करेगा.
राम या रावण.
मन रुपी राम या रावण में ही सब उत्तर हैं . . .

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