Sunday, February 8, 2009

दीमक इंसान

दीमक को कभी देखा है ध्यान से ?
कैसे बड़े बड़े पेड़, दरवाजे, कुर्सी, मकान निगल जाती है।
एक छोटा अदना सा प्राणी, जो शर्मीला बन छिपा रहता है,
अपनी मेहनत से बनाये बिल में।
कितना बौना बना देता है इंसान रुपी दैत्य को।
अणु बम बगल में लिए फिरता ये इंसान,
कैसे पिचकारी में जहर लिए फूं फूं करता फिरता है,
इस अदने से प्राणी को मिटाने के लिए।
अदना कौन है, ये अब कोई इससे पूछे,
दुनिया भर में अपनी डींगें हांकता है,
घर आकर दीमक के आगे हांफता है।
एक अदना प्राणी किसी सर्वोच्य के आगे,
कितना बौना बन मिटटी फांकता है।

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